सावन में 15 दिन का अंतर: उत्तर भारत और पूर्वी भारत में क्यों होता है फर्क?

 🕉️ सावन का महीना: एक पंचांग, दो शुरुआत?

सावन, भगवान शिव को समर्पित सबसे पवित्र महीनों में से एक है। यह माह भक्ति, व्रत, उपवास और शिव आराधना से जुड़ा होता है। परंतु आपने कभी गौर किया है कि उत्तर भारत और पूर्वी भारत में सावन की शुरुआत और अंत की तिथि में लगभग 15 दिनों का अंतर होता है?

आइए जानते हैं इसकी पंचांग आधारित ऐतिहासिक और खगोलीय वजह

📆 सावन की गणना कैसे होती है?

भारत में दो मुख्य प्रकार के पंचांग (Hindu Calendars) चलन में हैं: 

अमावस्यांत पंचांग (Amavasyant Calendar) — महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु में प्रचलित।

पूर्णिमांत पंचांग (Purnimant Calendar) — उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल, उत्तराखंड आदि में मान्य।

⚖️ क्या है अंतर?

पूर्णिमांत पंचांग में हर माह पूर्णिमा से शुरू होकर अगले पूर्णिमा तक चलता है।जबकि अमावस्यांत पंचांग में माह अमावस्या से शुरू होता है। इसी कारण, सावन पूर्णिमांत पंचांग में जल्दी शुरू होता है, जबकि अमावस्यांत पंचांग में थोड़ा देर से।
 

🛐 क्या इस अंतर से पूजा-पाठ पर फर्क पड़ता है?

नहीं। दोनों ही पंचांग स्थानीय परंपरा और खगोलीय गणना पर आधारित होते हैं। भगवान शिव की आराधना, व्रत, रुद्राभिषेक, और सावन सोमवार की महिमा दोनों पंचांगों में समान रूप से मान्य होती है।

🌍 क्यों है यह फर्क प्रासंगिक? 

ट्रेवलर्स या प्रवासियों के लिए यह जानकारी जरूरी होती है ताकि वे अपने क्षेत्र के अनुसार व्रत रख सकें। 
सोशल मीडिया या कैलेंडर अप्स पर सावन की अलग-अलग तारीखें दिखने पर भ्रम न हो। 
शिवभक्तों के लिए यह एक धार्मिक समझ बढ़ाने वाला विषय है।

📚 निष्कर्ष

भारत की विविधता उसकी ताकत है। जैसे हर राज्य की भाषा, खाना, और पहनावा अलग हो सकता है, वैसे ही पंचांग की परंपरा भी। सावन में 15 दिन का अंतर कोई विवाद नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिक और विविधतापूर्ण सोच का प्रमाण है।

 🗓️ 2025 में सावन कब से कब तक?

क्षेत्रपंचांग प्रकारसावन की शुरुआतसावन का समापन
उत्तर भारतपूर्णिमांत10 जुलाई 20258 अगस्त 2025
पूर्व/दक्षिण भारतअमावस्यांत26 जुलाई 202525 अगस्त 2025 
सावन महीने में अंतर - FAQ

❓ सावन महीने से जुड़े सामान्य प्रश्न

यह अंतर दो अलग पंचांग प्रणालियों – पूर्णिमांत (उत्तर भारत) और अमावस्यांत (पूर्व/दक्षिण भारत) – के कारण होता है। पूर्णिमांत में महीना पूर्णिमा से शुरू होता है, जबकि अमावस्यांत में अमावस्या से।

हां, क्षेत्रीय पंचांग के अनुसार व्रत की तिथियों में 10–15 दिन का फर्क हो सकता है। यह स्थानीय परंपराओं और मान्यताओं पर निर्भर करता है।

नहीं, दोनों पंचांग वैज्ञानिक खगोलीय गणनाओं पर आधारित हैं और अपने-अपने क्षेत्रों में धार्मिक रूप से मान्य हैं। यह सिर्फ परंपरा का अंतर है।

धार्मिक विधि-विधान में स्थान विशेष की परंपरा का पालन अधिक उचित माना जाता है। यदि आप किसी एक परंपरा से जुड़े हैं, तो उसी पंचांग का अनुसरण करें।

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