शिव स्तुति (Shiv Stuti) एक दिव्य प्रार्थना है जो भगवान शिव की महिमा का गान करती है। यह केवल शब्द नहीं, बल्कि भक्ति की अनुभूति है। इस ब्लॉग में हम "शिव स्तुति" की प्रमुख पंक्तियों का सरल पंक्ति-दर-पंक्ति अर्थ (Line by Line Meaning) जानेंगे, ताकि हर शिवभक्त उसकी गहराई को अनुभव कर सके।
🌺 शिव स्तुति (Shiv Stuti) की प्रमुख पंक्तियाँ और उनके अर्
🕉️ 1. करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
👉 अर्थ: जो भी पाप मैंने अपने हाथों, पैरों, वाणी, शरीर या कर्मों से किया हो...
🙏 भाव: यह पंक्ति आत्मस्वीकृति की प्रतीक है। हम शिवजी से अपने अनजाने अपराधों के लिए क्षमा मांगते हैं।
🕉️ 2. श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्
👉 अर्थ: जो भी अपराध मैंने अपनी आँखों, कानों या मन से किया हो…
🙏 भाव: यह ध्यान देता है कि केवल कर्म ही नहीं, मन की चंचलता भी दोषी हो सकती है।
🕉️ 3. विहितमविधितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
👉 अर्थ: जाने-अनजाने में जो भी पाप हुए, कृपया उन्हें क्षमा करें।
🙏 भाव: यह पंक्ति शिव की क्षमाशीलता पर आस्था को दर्शाती है।
🕉️ 4. जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो
👉 अर्थ: हे करुणा के सागर, हे महादेव, हे शंभू, आपकी जय हो।
🙏 भाव: अंत में हम प्रभु को वंदन करते हैं, क्योंकि वही जीवनदाता, मुक्तिदाता हैं।
🌼 शिव स्तुति का आध्यात्मिक संदेश
🔹 क्षमा और स्वीकार्यता – यह स्तुति हमें अपने दोषों को स्वीकारना और क्षमा मांगना सिखाती है।
🔹 निर्मल मन का रास्ता – मन, वाणी और कर्म की शुद्धि से ही सच्ची भक्ति संभव है।
🔹 शिव का वात्सल्य – शिव केवल संहारक नहीं, बल्कि करुणामयी और सहज हैं।
🧘 आख़िरी शब्द (Conclusion)
शिव स्तुति केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार है। जब हम हर शब्द को समझकर बोलते हैं, तो वो शिव तक सीधा पहुंचता है। इस स्तुति का रोज़ पाठ करें और अपने जीवन में शांति, क्षमा और शक्ति का संचार महसूस करें।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
शिव स्तुति सुबह स्नान के बाद या रात्रि को सोने से पहले करनी चाहिए।
हां, स्त्री-पुरुष, किसी भी आयु के लोग श्रद्धा से इसका पाठ कर सकते हैं।
यह मानसिक शांति, पापों से मुक्ति और भगवान शिव की कृपा प्राप्ति में सहायक होता है।

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