🏛️ बदलाव क्यों हुआ?
पिछले कुछ वर्षों में भारत में इतिहास को 'भारतीय दृष्टिकोण' से देखने की मांग तेज़ हुई है। बहुत से इतिहासकार और बुद्धिजीवी मानते हैं कि भारत का इतिहास लंबे समय तक विदेशी विजेताओं की महिमा गाथा बनकर रह गया था, जिसमें भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ हुए अत्याचारों को या तो नजरअंदाज़ किया गया या कम आँका गया।
NCERT ने इसी के तहत पाठ्यक्रम में कई संशोधन किए, जिनमें से एक बड़ा बदलाव बाबर के चरित्र चित्रण को लेकर है।
📜 बाबर कौन था?
बाबर (1483–1530) मुगल वंश का संस्थापक था। वह तैमूर और चंगेज़ खान की वंशावली से था। 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर उसने दिल्ली की सत्ता पर कब्ज़ा जमाया।
अब तक की इतिहास की किताबों में बाबर को एक साहसी, रणनीतिकार और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शासक बताया गया था। लेकिन NCERT के नए पाठ्यक्रम में अब उसे धार्मिक रूप से कट्टर और बेहद क्रूर आक्रमणकारी बताया गया है।
✍️ NCERT ने क्या बदला?
🔹 पुराने संस्करण में बाबर को एक प्रभावशाली शासक और कवि बताया गया था।
🔹 नए संस्करण में उसके द्वारा किए गए मंदिर विध्वंस, धार्मिक भेदभाव और स्थानीय संस्कृति के प्रति असहिष्णुता पर ज़ोर दिया गया है।
🔹 बाबरनामा में दिए गए उसके खुद के कथनों का हवाला देते हुए कहा गया है कि उसने धार्मिक असहिष्णुता के साथ कई नरसंहार किए।
🗂️ साथ ही, विद्यार्थियों को अब यह पढ़ाया जाएगा कि मुग़ल शासन भारतीय सांस्कृतिक विरासत पर एक आक्रमण था, न कि सिर्फ "विकास की एक अवस्था"।
⚔️ बाबर – विजेता या अत्याचारी?
यह सवाल अब शिक्षा और राजनीति दोनों का मुद्दा बन गया है। कई इतिहासकार कहते हैं कि बाबर एक तात्कालिक आक्रमणकारी था, जिसने भारत को सिर्फ राजनीतिक विजय के लिए उपयोग किया। उसने भारत को कभी अपना घर नहीं माना।
🧭 वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि उसे सिर्फ क्रूरता के चश्मे से देखना इतिहास की एकतरफा व्याख्या हो सकती है। क्योंकि वो कला, वास्तुकला और साहित्य में रुचि रखने वाला शासक भी था।
🧑🏫 छात्रों पर असर
नया पाठ्यक्रम इतिहास को कम रोमानी और ज्यादा यथार्थवादी बनाने की दिशा में कदम है। अब छात्रों को इतिहास सिर्फ “महान विजेताओं की गाथा” की तरह नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी पढ़ाया जाएगा।
📌 यह बदलाव विद्यार्थियों में समाज, धर्म और सत्ता के बीच के जटिल संबंधों को समझने में मदद करेगा।
📣 इस बदलाव पर क्या कहा जा रहा है?
समर्थन:इतिहास को भारतीय नजरिए से बताना ज़रूरी हैछात्रों को सच्चाई बताई जाए, न कि महिमामंडन, विरोध:इतिहास का राजनीतिकरण किया जा रहा हैपाठ्यक्रम को धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए बदला जा रहा है
🧭 निष्कर्ष
इतिहास कोई पत्थर की लकीर नहीं होता। समय के साथ उसके अर्थ और व्याख्याएं बदलती हैं। NCERT द्वारा बाबर को क्रूर कहे जाने का कदम उसी बदलाव की एक झलक है, जहाँ इतिहास को सिर्फ शासकों की दृष्टि से नहीं, बल्कि जनमानस, पीड़ा और सच्चाई की दृष्टि से देखा जा रहा है।
सवाल यह नहीं कि बाबर कैसा था, सवाल यह है कि हमें अपने इतिहास को कितनी ईमानदारी और गहराई से पढ़ाया जा रहा है।

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