2025 का भारतीय सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि इतिहास को फिर से परिभाषित करने की एक कोशिश बनकर उभरा है। इस साल कुछ ऐसी फिल्में रिलीज़ हुई हैं जो केवल कहानियाँ नहीं, बल्कि अनकही और अनछुई ऐतिहासिक हकीकतों को उजागर करती हैं। इनमें से दो प्रमुख नाम हैं – "छावा" और "हिज़ स्टोरी ऑफ़ इतिहास"।
इन दोनों फिल्मों ने समाज को सोचने पर मजबूर किया कि क्या हमने जो इतिहास पढ़ा, वही पूरा सच था?
🛡️ "छावा": छत्रपती संभाजी महाराज का वीरत्व
निर्देशक: लाजवाब भव्यता के साथ एक राष्ट्रभक्ति की प्रस्तुति
कलाकार: विक्की कौशल (संभाजी महाराज)
"छावा", जिसका अर्थ है "शेर का बच्चा", छत्रपती संभाजी महाराज की जीवनी पर आधारित एक ऐतिहासिक एक्शन-ड्रामा फिल्म है। जहां इतिहास की किताबें उन्हें अक्सर एक क्रूर शासक के रूप में दिखाती हैं, वहीं "छावा" उनके शौर्य, विद्वता और बलिदान को दर्शाता है।
🎞️ मुख्य बिंदु: औरंगज़ेब के सामने झुकने से इनकार, विद्वानों में गहरी रुचि, संस्कृत और धर्मशास्त्र में पकड़,दर्दनाक बलिदान जो आज भी लोगों को रोमांचित करता है
छात्रों, मराठा समुदाय और युवाओं में एक नई राष्ट्रीय चेतना जागृत हुई है। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #RealHistory, #ChhaavaChallenge जैसे ट्रेंड्स देखने को मिले।
📚 "His Story of Itihaas": जब इतिहास की परछाइयों से निकले गुमनाम नायक
लेखक: राहुल श्रीवास्तव (प्रेरणा – "Brainwashed Republic" पुस्तक)
निर्देशक: नवोदित लेकिन बोल्ड विज़न वाले आर्टिस्ट
मुख्य कलाकार: पंकज त्रिपाठी, रसिका दुग्गल
यह फिल्म एक शिक्षक की यात्रा को दर्शाती है जो भारत के टेक्स्टबुक इतिहास की परतें खोलता है और उन वीरों को उजागर करता है जिन्हें भुला दिया गया। फिल्म की कहानी सिर्फ कक्षा के ब्लैकबोर्ड तक सीमित नहीं रहती – यह न्याय, सत्ता, और सच्चाई की लड़ाई बन जाती है।
🎥 कहानी का सार: गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी जैसे बटुकेश्वर दत्त, खुदीराम बोस, वीर लक्ष्मी बाई के असली चित्रणबच्चों में सच्चा इतिहास पढ़ाने की जिद ,शिक्षा तंत्र से टकराव
पैरेंट्स और शिक्षकों के बीच शैक्षणिक क्रांति की बहस छिड़ गई है। लोग पूछ रहे हैं – "क्या हमें सच में इतिहास का सिर्फ एक ही पक्ष बताया गया?"
🧠 2025: इतिहास का पुनर्लेखन सिनेमा के ज़रिए
इस वर्ष के ये दोनों सिनेमाई प्रयास दर्शाते हैं कि अब दर्शक केवल राजा-रानी की प्रेम कहानियों से संतुष्ट नहीं हैं। वे वास्तविक, प्रेरक और बौद्धिक कहानियों की तलाश में हैं।
📌 अब सवाल यह नहीं है कि “क्या इतिहास दोहराया जाएगा?”
सवाल यह है – “क्या इतिहास सही लिखा जाएगा?” अगर आप भी मानते हैं कि इतिहास को नई नज़र से देखा जाना चाहिए, तो ये फिल्में आपके लिए ज़रूर हैं। "छावा" आपको गर्व से भर देगी, और "His Story of Itihaas" आपके भीतर सवालों की लहर उठा देगी।
🎬 तो इस सप्ताहांत सिनेमा का चुनाव इतिहास से करें – लेकिन इस बार, पर्दा कुछ और बोलेगा।

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